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उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग की समस्या से निबटने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने रोकथाम के उपाय करने पर जोर देते हुए बुधवार को कहा कि क्लाउड सीडींग और बारिश के लिए भगवान पर निर्भर रहना इसका समाधान नहीं है। कोर्ट ने कहा कि समस्या से निपटने के लिए अथारिटीज को रोकथाम के उपाय करने होंगे। हालांकि उत्तराखंड सरकार ने जंगल की आग काबू करने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी कोर्ट को दी और कहा कि अब आपात स्थिति नहीं है। यह भी बताया कि नवंबर से अभी तक आग लगने की 398 घटनाएं हुई हैं और सभी मानवजनित हैं। कोर्ट मामले में 15 मई को फिर सुनवाई करेगा। जस्टिस बीआर गवई और संदीप मेहता की पीठ ने बुधवार को ये टिप्पणियां उत्तराखंड के जंगलों में आग का मुद्दा उठाने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान कीं। जंगल की आग से पर्यावरण, वन्यजीव सुरक्षा और पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने के पुराने लंबित मामले में एक नयी अर्जी दाखिल कर उत्तराखंड के जंगलों में लगी मौजूदा आग की समस्या का मुद्दा उठाया गया था।
अर्जीकर्ता के वकील ने राज्य द्वारा किये जा रहे उपायों पर सवाल उठाते हुए मीडिया में आ रही खबरों और वीडियो व फोटो का हवाला देते हुए स्थिति को गंभीर बताया और आग की रोकथाम के उपाय किये जाने की बात कही। सुनवाई कर रही पीठ ने भी उत्तराखंड के जंगलों के बारे में मीडिया में आ रही रिपोर्ट और वीडियो की तस्दीक की। पीठ के न्यायाधीश मेहता ने कहा कि उसमें आग दिखाई दे रही है। तभी उत्तराखंड सरकार की ओर से पेश वकील ने स्थिति रिपोर्ट के जरिए कोर्ट को किये जा रहे उपायों की जानकारी दी।
राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया किआग बुझाने के लिए हेलीकाप्टरों का भी उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि नवंबर से अभी तक आग लगने की 398 घटनाएं हुई हैं जिनमें पांच लोगों की मौत हुई है हालांकि राज्य सरकार कोर्ट को यह नहीं बता पाई कि कुल कितने पशुओं की जान गई। वकील ने पता करके सूचित करने की बात कही। प्रदेश सरकार ने कोर्ट को बताया कि आग लगने की सभी घटनाएं मानवजनित हैं। 350 एफआइआर दर्ज की गई हैं जिनमें 62 लोग नामजद हैं। उन्होंने कहा लोग कह रहे हैं कि उत्तराखंड के 40 प्रतिशत जंगल आग की चपेट में है जबकि 0.1 प्रतिशत वाइल्ड लाइफ क्षेत्र ही आग की चपेट में है। पीठ ने राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे उपायों और बारिश कराने की बात पर कहा कि याचिकाकर्ता का कहना सही है कि क्लाउड सीडिंग और बारिश लिए भगवान पर निर्भर रहना इसका समाधान नहीं है।
इस समस्या से निबटने के लिए अथारिटीज को इसकी रोकथाम के उपाय करने होंगे। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से अपनी याचिका और सुझावों की प्रति राज्य सरकार को देने की बात कहते हुए मामले को अगले बुधवार को सुनवाई पर लगाने का निर्देश दिया।